Monday 1 August 2011

Itna to karana swami, Jab praan tan se nikale.....

इतना तो करना स्वामी, जब प्राण तन से निकले
गोविन्द नाम लेकर, फिर प्राण तन से निकले

श्री गंगाजी का तट हो, या यमुना का बंसी वट हो,
मेरा सावरा निकट हो, जब प्राण तन से निकले

पीताम्बरी कसी हो, चेहरे पे कुछ हँसी  हो
छवि मन में यह बसी हो, जब प्राण तन से निकले

इस दास की हे अर्जी, खुदगर्ज की हे गर्जी
और आगे तुम्हारी मर्जी, जब प्राण तन से निकले

उस वक्त जल्दी आना, प्रभु देर ना लगाना
श्री राधेजी को साथ लाना, जब प्राण तन से निकले

श्री वृंदावन का स्थल हो, मुख में तुलसी दल हो
कृष्ण चरण का जल हो, जब प्राण तन से निकले

सुधि होवे माहे तन की, तैयारी हो गमन की
लकड़ी हो ब्रज के वन की, जब प्राण तन से निकले

ये नींद सी अरज है, मानो तो क्या हरज है
कुछ आप का फ़रज है, जब प्राण तन से निकले

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